नई दिल्ली ।
राशन कार्ड का पूरी तरह डिजिटलीकरण करने और उसे आधार नंबर से लिंक करने से सरकार को करीब 2.75 करोड़ डुप्लिकेट और फर्जी राशन कार्डों को पकड़ने में मदद मिली है। इन राशन कार्डों का इस्तेमाल सब्सिडी वाली खाद्य सामग्री पाने में किया जाता था।
फूड मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने कहा कि राशन कार्ड के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया जनवरी 2013 में शुरू हुई थी, लेकिन पिछले चार साल में इसे गति मिली। फूड ऐंड कंज्यूमर्स अफेयर मिनिस्टर रामविलास पासवान ने कहा, ‘हमने सालाना 17,500 करोड़ रुपये की सब्सिडी वाले गेहूं, चावल और मोटे अनाज को देने में हो रही गड़बड़ी को पकड़ा है। हालांकि ये प्रत्यक्ष बचत नहीं है क्योंकि अब इसमें जरूरतमंदों की संख्या बढ़ गई है। अब यह कह सकते हैं कि असली जरूरतमंदों को इसका फायदा हो रहा है।’
सरकारी आंकड़ा देखें तो नैशनल फूड सिक्यॉरिटी ऐक्ट (NFSA) के तहत लोगों को 23.19 करोड़ राशन कार्ड जारी किए गए थे। राशन कार्ड के डिजिटलीकरण और उसे आधार से जोड़ने की प्रक्रिया 82 प्रतिशत पूरी हो चुकी है। जैसे-जैसे यह काम आगे बढ़ेगा, फर्जी कार्डों को सिस्टम को बाहर कर दिया जाएगा। खाद्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि रद्द किए गए राशन कार्ड में 50 प्रतिशत उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से आते हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश से भी बड़ी संख्या में फर्जी राशन कार्ड रद्द किए गए हैं। एनएफएसए दुनिया की सबसे बड़ी वेल्फेयर स्कीम है, जिसके तहत 80 करोड़ जरुरतमंदों के लिए भोजन सुनिश्चित किया जाता है।
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