नई दिल्ली।
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने फसल की कीमत तय करने वाले ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (एमएसपी) को किसानों का कानूनी अधिकार का दर्जा देने की मांग की।
उन्होंने कहा कि ऐसा किये बिना किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब दाम नहीं मिल सकता। येचुरी ने कहा कि सरकार एमएसपी के आधार पर फसलों की कीमत तो तय कर देती है लेकिन वास्तव में किसानों को इससे कम कीमत पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है। इस हकीकत को देखते हुये सरकार को एमएसपी पर कृषि उत्पाद बेचने का किसानों को विधिक अधिकार देने के लिये कानून बनाना चाहिये। येचुरी ने एमएसपी का किसानों को अधिकार मिलने की पैरवी करते हुये कहा कि यह हमारी पुरानी मांग रही है। इस बारे में हमने 15 जून, 2017 को प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था। उन्होंने कहा कि पिछले चार साल का अनुभव इस बात की जरूरत को साबित करता है कि किसानों को एमएसपी का अधिकार मिले। उन्होंने इसे संविधान में र्विणत अन्य मौलिक अधिकारों में शामिल करने की जरूरत पर बल दिया। माकपा नेता ने साल 2014 से 2016 के दौरान कृषि क्षेत्र की आय और इसके राजस्व में छह प्रतिशत की गिरावट आने से जुड़ी एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुये कहा कि इससे किसानों की बदहाली का पता चलता है। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि गर आपको कोई भ्रम है तो यह रिपोर्ट बताती है कि किस तरह कठोर परिश्रम करने वाले भारतीय किसानों की कृषि आधारित आय में सालाना छह फीसदी गिरावट आयी है। अब आप समझ सकते हैं कि सरकार ने किसानों की आत्महत्या से जुड़े आंकड़े जारी करना बंद क्यों कर दिये हैं। जबकि सरकार के पास छुपाने को बहुत कुछ है।
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