तब मेरी पत्नी दिल्ली रहती थी और मैं मुंबई रहते हुए संघर्ष कर रहा था. बीबी अक्सर ये उलाहना देती कि कुछ नहीं हो रहा हो तो आ जाओ.. हमारी नई -नई शादी हुई थी..हम दोनों बेहाल थे! मैं वापस आ नहीं सकता था क्योंकि तभी मनोज कुमार ने मुझे ‘शोर’ फिल्म के गीत लिखने का काम दिया हुआ था. उस समय मैं एक गीत लिख रहा था जिसके बारे में मुझे बिल्कुल यह अंदाज़ा नहीं था कि यह गीत सदी के सर्वश्रेष्ठ गीत में शुमार होगा.. मैंने उस गीत के एक अंतरे में अपनी पत्नी के सवालों का जवाब देने की कोशिश भी की थी- “तू धार है नदिया की, मैं तेरा किनारा हूँ तू मेरा सहारा है, मैं तेरा सहारा हूँ, आँखों में समंदर है, आशाओं का पानी है. ज़िंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है!!” यह शब्द हैं गीतकार संतोषानंद साहब के.. किसी कवि सम्मेलन के दौरान उन्होंने ये किस्सा शेयर किया था.. आज उनका जन्मदिन है.. मैंने सोचा कि मैं ये किस्सा आप सबसे शेयर करूँ!! यादों के एल्बम से एक तस्वीर
Hirendra Ji की एफबी वॉल से साभार।
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