नयी दिल्ली।
फेक न्यूज प्रकाशित या प्रसारित करने पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी का पत्रकारों की मान्यता रद्द किए जाने फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज बदल दिया। उन्होंने तत्काल ये फैसला वापिस लेने का आदेश देते हुए कहा कि इस मामले में हर निर्णय प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा ही लिया जाएगा। काउंसिल ही बताएगा की प्रसारित खबर फेक है या नहीं। पीएमओ ने कहा है कि फेक न्यूज का पूरा मामला प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और प्रेस संगठनों पर छोड़ देना चाहिए।
सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन पर न केवल विपक्षी दलों ने बल्कि प्रेस काउंसिल ने भी ऐतराज जताया था। विपक्षी नेताओं ने इस पूरे फैसले की निंदा करते हुए कहा था कि यह प्रेस की आजादी पर बहुत बड़ा खतरा है। उन्होंने सेंसरशिप को गलत बताया था।
बता दें कि सूचना प्रसारण मंत्रालय ने एक नोटिस जारी कर कहा था कि अगर कोई पत्रकार फेक न्यूज देता या उसे प्रचारित करता पाया गया तो उसकी मान्यता हमेशा के लिए रद्द हो सकती है। मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए संशोधित दिशानिर्देशों में यह व्यवस्था की गई थी। सरकार की ओर से कहा गया था कि पहली बार फेक न्यूज के प्रकाशन अथवा प्रसारण की पुष्टि होने पर मान्यता प्राप्त पत्रकार की मान्यता छह माह के लिए निलंबित की जाएगी। दूसरी बार ऐसा होने पर यह कार्रवाई एक साल के लिए होगी। लेकिन तीसरी गलती पर मान्यता हमेशा के लिए रद्द कर दी जाएगी।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, प्रिंट मीडिया से संबंधित फेक न्यूज की शिकायत को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संबंधित शिकायत को न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए)को भेजा जाएगा। ये दोनों संस्थाएं ही तय करेंगी कि जिस खबर के बारे में शिकायत की गई हैए वह फेक न्यूज है या नहीं। दोनों को यह जांच 15 दिन में पूरी करनी होगी। एक बार शिकायत दर्ज कर लिए जाने के बाद आरोपी पत्रकार की मान्यता जांच के दौरान भी निलंबित रहेगी। पीएम द्वारा इस फैसले को वापिस लेने के निर्देशों पर पत्रकार संगठनों ने खुशी जाहिर की है।
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