नई दिल्ली।
दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने आज कहा कि भावी 5 जी प्रौद्योगिकी से भारत के लिए प्रौद्योगिकी विकास में अगली कतार में आने का मौका है और देश इसकी अनदेखी को जोखिम नहीं उठा सकता।
सिन्हा ने देश की पहली 5 जी परीक्षण प्रयोगशाला की शुरुआत के बाद यह बात कही। उन्होंने कहा कि वे बार बार यह दोहराना चाहेंगे कि भले ही हम 3 जी व 4 जी के मामले में पीछे रह गये लेकिन ‘हम 5 जी के मामले में चूक वहन नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि 5 जी भारत के लिए प्रौद्योगिकी विकास में पिछली कतार से पहली कतार में आने का बड़ा मौका है।स्वीडन की दूरसंचार उपकरण कंपनी एरिक्सन ने यह 5 जी उत्कृष्टता केंद्र व नवोन्मेषी प्रयोगशाला आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर स्थापित की है। सरकार ने 5 जी समाधानों के परीक्षणा के लिए इस प्रयोगशाला को 100 मेगाहटर्ज स्पेक्ट्रम आवंटित किया है। मंत्री ने कहा कि देश में पहली 5 जी प्रयोगशाला स्थापित किया जाना इस प्रौद्योगिकी में भारत को वैश्विक स्तर पर अग्रणी रखने के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप ही है। उन्होंने कहा कि बीते चार साल में देश में दूरसंचार प्रौद्योगिकी का तेजी से प्रचार प्रसार हुआ है। दूरसंचार घनत्व जून 2014 में 75 प्रतिशत था जो मार्च 2018 में बढ़कर 93 प्रतिशत हो गया। सरकार ने दूरसंचार बुनियादी ढांचे व सेवाओं पर खर्च को 2014-18 में छह गुना बढ़ाकर 66,000 करोड़ रुपये कर दिया जो 2009-14 में 9,900 करोड़ रुपये था। ट्राई के चेयरमैन आर एस शर्मा ने कहा कि भारत को 5 जी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल अपनी स्थानीय समस्याओं के समाधान के लिए करना चाहिए। एरिक्सन के सीईओ बोर्ज एखलोम ने कहा कि 5 जी प्रौद्योगिकी का पहली वाणिज्यिक पेशकश इस साल हो सकती है। इस प्रौद्योगिकी से मोबाइल फोन पर इंटरनेट की स्पीड कई गुना बढ़ेगी।
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