मंगल-राहु जब बनाएं “अंगारक योग”
राहु नामक वायुवीय ग्रह के साथ संयोग कर अपने दुष्प्रभाव में भारी बढ़ोत्तरी कर लेता है। ऐसे में पीड़ित जातक हिंसात्मक अपराधी, कुप्रवृत्तियों में संलग्न, आचरणहीन, व्यभिचार में रत, दूसरों का बुरा चाहने वाला स्वार्थी किस्म का बन जाता है। ऐसे जातकों को समाज में अराजकता फैलाने में मज़ा आने लगता है तथा अक्सर ऐसे जातक सामूहिक हत्याकाण्ड को भी अंजाम देने में संकोच नहीं करते हैं।
जातक की कुण्डली में मंगल तथा राहु दि किसी जातक को अंगारक योग के दुष्प्रभाव से जूझना पड़ रहा है तब उसे ऐसी अवस्था में मंगल तथा राहु को शांत रखना होगा। यानि विधिपूर्वक हनुमत आराधना से ये दोनों ग्रह पीड़ामुक्त होंगेया केतु में दोनों शुभ हो, केवल एक शुभ हो तब ऐसी स्थिति में शुभ प्रभाव वाले अंगारक योग का निर्माण होता है। ऐसा योग जातक को न्यायप्रिय, सहयोगी, जनप्रिय, सेनाधिकारी, पुलिस उच्चाधिकारी अथवा प्रशासनिक अभिकर्ता बना देता है।
मंगलवार के व्रत विधि (Mangalvar Vrat Katha )
Be First to Comment