नई दिल्ली।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपने दो दिन के दौरे पर 4 और 5 जुलाई को उत्तर प्रदेश में थे। साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उनका यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है। अपने इस दौरे पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य के वर्तमान के सांसदों के काम-काज और उनकी छवि को लेकर यूपी के विस्तारकों, पन्ना प्रमुखों के अलावा संगठन और संघ के पदाधिकारियों के साथ गुफ्तगू की। इसके बाद सूत्रो से आ रही खबरों के अनुसार यूपी के 35 से 50 सांसदों की निगेटिव रिपोर्ट मिली है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि लगभग 50 सांसदों का टिकट आने वाले लोकसभा चुनाव में कट सकता है। यह खबर जैसे ही मौजूदा सांसदों तक पहुंची, सभी सांसद पार्टी के अंदर बैठे बड़े नेताओं से संपर्क कर लिस्ट में किसके-किसके नाम हैं उसकी जानकारी हासिल करने में जुटे हुए हैं। टिकट कटने की सुगबुगाहट मिलते ही भाजपा के सभी 68 सांसदों की धड़कनें तेज हो गई हैं। चार साल तक अपने संसदीय क्षेत्र में काम न करने वाले सांसद भी आरएसएस से लेकर प्रदेश और क्षेत्रीय संगठनों के बड़े पदाधिकारियों के दरवाजों की परिक्रमा लगाना शुरू कर दिए हैं।
गौरतलब है कि चार जुलाई को अमित शाह काशी, अवध और गोरखपुर क्षेत्रीय संगठनों के साथ लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने के लिए मिर्जापुर और वाराणसी आए थे। उसके बाद पांच जुलाई को आगरा गए और वहां उन्होंने ब्रज, कानपुर और पश्चिम क्षेत्रीय संगठन के नेताओं के साथ बैठक की। उनके दौरे के बाद ही यूपी के सियासी हलके में मौजूदा 50 सांसदों को दोबारा प्रत्याशी न बनाए जाने की अटकलें लगने लगी हैं। खबर है कि खुद आरएसएस भी मौजूदा सांसदों के खिलाफ है और एक रिपोर्ट बनकर संघ प्रमुख मोहन भागवत के पास भी जा चुकी है। ऐसे में तय माना जा रहा है कि यूपी की 80 सीटों में से कम से कम 50 सांसदों के टिकट कटेंगे। यह वर्तमान सांसद संगठन में काम करेंगे।
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