जयपुर।
पिछले दिनों यह चर्चा रही कि कांग्रेस राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी गुजरात की तर्ज पर चुनाव लड़ेगी। गुजरात की तरह ही सभी जातियों को साधने के नजरिए से राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी दो से चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाने और जल्दी ही सभी समितियों के गठन की घोषणा की गई।
मध्य प्रदेश में तो कांग्रेस ने चुनाव के नजरिए से पूरी तैयारी कर ली, लेकिन राजस्थान में इसकी रफ्तार बेहद धीमी है। न तो राजस्थान में कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति हुई और न ही समितियों का गठन। इसका बड़ा कारण राज्य के बड़े नेताओं के बीच चल रहा अंतरकलह है। कार्यकर्ताओं में इस बात का डर बना हुआ है कि कहीं राजस्थान में अनुकूल स्थिति होने पर भी नेताओं की गुटबाजी चुनाव में कांग्रेस के लिए भारी न पड़ जाए।
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