वाशिंगटन।
अमेरिकी विशेषज्ञों ने एक ऐसी दवा ईजाद की है, जिसकी मदद से सुनने की ताक़त खो चुके या वंशानुगत बहरेपन के शिकार लोग दोबारा सुनने की ताकत पा सकेंगे। उनका दावा है कि इस दवा से कानों के भीतर मौजूद बेहद अहम रोंए की कोशिकाओं को जीवित रखने वाले जींस को जगाए रखा जा सकेगा।
यह अध्ययन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेफनेस एंड अदर कम्यूनिकेशन डिसऑर्डर के विशेषज्ञों की टीम ने किया है। अध्ययन के दौरान उन्होंने डीएफएनए27 जीन का पता लगाया जो आनुवांशिक बहरेपन के लिए जिम्मेदार होता है। यह शोध चूहों पर किया गया था। शोध के सह लेखक थॉमस फ्रीडमैन ने कहा कि उनकी टीम चूहों का बहरापन पूरी तरह से दूर करने में सफल रही। बहरेपन के 50 फीसदी मामलों में आनुवांशिक कारण जिम्मेदार होते हैं और यह लाइलाज होता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनकी ईजाद की गई दवा एक तरह के स्विच का काम करेगी, जिसकी मदद से सुनने की ताकत को दोबारा पाया जा सकेगा। बड़े पैमाने पर भी अगर इस शोध के यही नतीजे मिलते हैं, तो इससे वंशानुगत बहरेपन के इलाज में मदद मिल सकती है। यह अध्ययन सेल पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है।
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