षोडशी महाविद्या साधना
भगवती षोडशी मूलप्रकृति शक्ति की सबसे मनोहर बालस्वरुपा श्री विग्रह वाली देवी हैं । उदय कालीन सूर्य के समान जिनकी कान्ति है, चतुर्भुजी, त्रिनेत्री, वर, अभय, ज्ञान व तप की मुद्रा को धारण किये हुए हैं । ये सहज व शांत मुद्रा में कमल के आसन पर “क”कार की मुद्रा में विराजमान होती हैं । जो जीव इनका आश्रय ग्रहण कर लेते हैं उनमें और ईश्वर में कोई भेद नहीं रह जाता है । ललिता, राज-राजेश्वरी, महात्रिपुरसुंदरी, बाला, आदि इनकी ही विकसित अवस्थाओं नाम हैं
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