भोपाल ।
सोमवार को एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के विराध में दलित बंद के दौरान ग्वालियर में बिगड़े हालातों के मामले में नगरीय विकास मंत्री माया सिंह ने नया खुलासा किया। कैबिनेट के ठीक बाद की अनौपचारिक चर्चा में उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि स्थानीय स्तर पर कलेक्टर और एसपी देरी से हरकत में आए, जिसके कारण स्थिति बिगड़ी।
मंत्री ने कही गलत जानकारी देने की बात
मैंने खुद सुबह फोन करके पूछा तो प्रशासन द्वारा बताया गया कि सब ठीक है। मैंने यह भी कहा कि क्या मैं भोपाल जाऊं? कलेक्टर ने कहा, आप जाइए। इसके बाद कुछ और मंत्रियों ने इंटेलीजेंस के फेल होने और प्रशासनिक अमले के गैरजिम्मेदाराना रवैये को लेकर गुस्सा जाहिर किया। माया सिंह ने बताया कि शताब्दी ट्रेन में 11.30 बजे जब आपने (शिवराज सिंह चौहान) फोन किया तो हालातों का पता चला।
सीएम को विधायकों व सांसदों ने प्रशासनिक अमले की शिकायत की
मंत्रियों के अलावा सीएम को विधायकों व सांसदों ने प्रशासनिक अमले की शिकायत की। उन्हें बताया गया कि ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर के घर के बाहर ऑटो में दो लड़कियों के साथ जब अप्रिय हालात बने तो उन्हें ले जाकर एक अधिकारी के घर में शरण दी गई। कई जगह तो 11 बजे तक 5-6 पुलिसकर्मी ही मौजूद थे। हाईकोर्ट जज के घर बाहर भी यही स्थिति थी। बाद में सीएम ने रुस्तम सिंह समेत अन्य मंत्रियों को ग्वालियर भेजा।
सीएम ने सभी मंत्रियों से कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता शांति बहाल करने की है। इसलिए सभी मंत्री प्रभार वाले जिलों में जाकर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए किए जा रहे पर्याप्त इंतजामों को देखें।
डबरा में रातों-रात मूर्ति बदली
पुलिस की सूचना-तंत्र की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डबरा में रात में जेसीबी से एक मूर्ति तोड़ दी गई। जब प्रशासन को पता चला तो रातों रात आगरा से मूर्ति मंगवाकर उसे स्थापित कराया गया।
एक संगठन पर भी संदेह: हिंसक गतिविधियों में लिप्त लोगों के एक संगठन की भूमिका पर भी संदेह किया जा रहा है। इस संगठन से जुड़े लोग बंद के दिन शासकीय व्यवस्थाओं से दूर रहे।
Reported by: Deepu Shukla
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