मुजफ्फरनगर ।
‘सहज प्रकाशन’ मुजफ्फरनगर के तत्वावधान में नेमपाल प्रजापति के उपन्यास ‘बिसात’ पर स्थानीय एस.डी. कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टैक्नोलोजी के सभागार में ‘परिसंवाद’ का आयोजन किया गया। इस वैचारिक कार्यक्रम में सुविख्यात साहित्यकार निर्मल गुप्त ने मुख्य अतिथि के रुप में प्रतिभाग किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो0 जे.पी. सविता ने की तथा संचालन डॉ. प्रदीप जैन ने किया। विषिश्श्ष्ट अतिथि के रुप में डॉ. एस.एन. चौहान उपस्थित थे।
अपने संबोधन में साहित्यकार निर्मल गुप्त ने कहा कि नेमपाल प्रजापति का उपन्यास ‘बिसात’ देर तक इसलिए याद रखा जाएगा क्योंकि इसमें उपन्यास की वैभवशाली परंपरा के एक फार्मेट की आहट सुनाई देती है। उपन्यास निजी प्रसंगों के तहत भले ही लिखा गया हो लेकिन यह आदमी पर चढ़े तरह-तरह के मुखौटों को खुरच-खुरच कर उतारता है। इसके कथ्य में ताजे दूघ के झाग है और ताजगी भरी गंध भी। यदि इसे पढ़ते हुए कुछ बैचेन दिखे तो ऐसा होगा अकारण नहीं है। मानना होगा कि उपन्यास ने अपने कथ्य को पुरजोर तरीके से सम्प्रेषित किया है।
कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो0 जे.पी. सविता ने कहा कि मध्य स्तरीय शहरों और कस्बों को केन्द्र में रखकर लिखा गया साहित्य अपेक्षाकृम कम है। इस दिशा में ‘बिसात- एक श्लाषनीय प्रयास है। व्यंग्य के प्रयोग ने इस उपन्यास को पठनीय बना दिया है जिसके लिए नेमपाल प्रजापति साधुवाद के पात्र है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. एस.एन. चौहान का कहना था कि ‘बिसात’ एक उम्दा उपन्यास है, जिसमें लेखक सम्प्रेषिता की कसौटी पर खरा उतरा है। लेखक जो कहना और जहां तक पहुंचना चाहता था उसमें वह पूर्णतः सफल हुआ है। समाज में विसंगतियों से जूझते इंसान की आपबीती और व्यथा इस उपन्यास मे झलकती है।
कार्यक्रम संयोजक एवं उपन्यास के प्रकाशक परमेन्द्र सिंह ने कहा कि ‘विभिन्न अध्यायों में विभक्त इस उपन्यास में फैले कथासूत्र एक फलक का निर्माण करते है जो बड़े औपन्यासिक विस्तार की अपेक्षा रखते है, लेकिन इस विस्तार को नेमपाल प्रजापति अपने कौशल से प्रस्तुत कलेवर में समेटने में पर्याप्त सफल रहे हैं।
कार्यक्रम में उपन्यास के लेखक नेमपाल प्रजापति के साथ डॉ. बी.एस.त्यागी, रोहित कौशिक, अमित धर्म सिंह, एन.एन.पंत, डॉ. बिशम्बर पांडेय, तरुण गोयल, प्रकाश सूना, मनु स्वामी, डॉ. आर.एम. तिवारी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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