मुजफ्फरनगर ।
एस सी एस टी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर देश व्यापी हिंसा दुर्भाग्य पूर्ण है। वही यह राज्यों के ख़ुफ़िया विभाग की असफलता भी है। देश और विदेश में अनेको राष्ट्र विरोधी शक्तियां है जो नहीं चाहती की भारत आर्थिक रूप से संम्पन्न हो इसलिए आये दिन रोज समाज में कटुता का जहर घोलने का प्रयास किया जा रहा है। अभी हाल में सुप्रीम कोर्ट ने एस सी एस टी एक्ट को लेकर कुछ दिशा निर्देश दिए थे। जिसके विरोध में कुछ संगठनों के बुलाए गए बंद में हुई व्यापक हिंसा ने हम सब को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है की आखिर हम किस दिशा की ओर बढ़ रहे है। देश में कानून का राज है तब भीड़ फैसले कैसे ले सकती है? लेकिन कल के बंद में भीड़ न केवल विध्वंसक हो गयी वरन उससे सामाजिक ताने बाने को भी गंभीर क्षति पहुंची। सामाजिक कटुता फैलाकर जातिओं के नाम पर राजनीती करने वाली विचारधारओं को विगत कुछ वर्षों में सत्ता सुख मिला लेकिन आज वो अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहें है इसीलिए समाज को वर्ग संघर्ष में धकेलना चाहते है। कल के बंद से हो सकता हो उनका मनोबल कुछ बढ़ा हो लेकिन भारतीय समाज का जो ताना बाना है उससे उन्हें दीर्घ कालीन सफलता मिलने की संभावना नहीं है। ऐसे में राज्य सरकारों की भी जिम्मेदारी है कि कल की हिंसा में लिप्त लोगों की पहचान कर उनके विरुद्ध मुकदमे दर्ज हो और कठोर करवाई हो। लूटपाट और आगजनी की अनेको क्लिप वायरल हुई है उनकी सत्यता की जाँच से असमाजिक तत्वों तक पहुंचना मुश्किल नहीं है। इससे पुलिस का भी इक़बाल बढ़ेगा वहीं शासन पर भी आम लोगों में विश्वास जमेगा। साथ ही जिन लोगो की सम्पत्ति का नुकसान हुआ है उनके लिए भी कोई समिति बनाकर बिना किसी पक्षपात के उनकी भरपाई की व्यवस्था हो।
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