इस्लामाबाद (एजेंसी)।
अक्सर आतंकवाद को अपनी शरण देने वाला पाकिस्तान ग्रे सूची में डाले जाने के बाद पूरी तरह पागल व बौखलाहट में आकार इन सबका आरोप भारत पर लगा रहा हैं। दरअसल आतंकवाद जैसे गंभरी मुद्दे को लेकर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाल दिया था। पाकिस्तान और पनपता आतंकवाद पूरी दुनिया में किसी से छिपा नही है। हमेशा आतंकवाद को शरण देने आर्थिक सहायता देने के बाद यह कदम उठाया गया है। इन सबके बीच पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहम्मद आजन ने मीडिया से कहा कि यह सब किया कराया अमेरिका और भारत का उन्होनें ही एफएटीएफ पर हमारे मुल्क को लेकर दवाब बनाया है। आजम ने कहा कि इन देशों ने चीन और सउदी अरब पर भी अत्याधिक दवाब डाला है, वह पाकिस्तान का हितेशी ना बने और ना ही इस मामले पर कोई दखल दे।
पाकिस्तान ने इस इस मसले से बाहर निकलने के लिए अपने बचाव को लेकर वित मंत्री शमशाद अख्तर का चयन किया है। एफटीएफ की होनें वाली बैठक में अख्तर पाकिस्तान का पक्ष रखेंगे और ग्रे सूची से अपना नाम अलग कराने की मांग करेंगे। साथ ही मंत्री मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद व उन्हे मिलने वाले फंड को जड़ से खत्म करने के लिए उठाए गये कदमों के बारे में एफएटीएफ को विस्तार से जानलकारी देंगे।
पेरिस में मंगलवार को शुरू हुई एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान के 28 सूत्री कार्यक्रम पर चर्चा हुई। इसके तहत उसने आईएस, अलकायदा, लश्कर ए ताइबा, जैश ए मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क, जमात उद दावा (जेयूडी) एवं इसकी सहयोगी फलाह ए इंसानियत और तालिबान से संबद्ध व्यक्तियों को वित्तीय मदद रोकने का प्रस्ताव दिया है। इसे लागू करने के लिए उसने 15 महीने का समय मांगा है। इस कार्ययोजना के अनुसार पाकिस्तान को सभी संबंधित देशों की एजेंसियों से द्विपक्षीय सहयोग लेते हुए आतंकियों तक पहुंच रहे धन के मामले में कार्रवाई करना है। अगले साल जनवरी तक कार्ययोजना के पहले भाग को लागू कर देना है। सितंबर, 2019 तक सारी कार्ययोजना पर अमल हो जाना चाहिए।
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