नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसले में कहा कि सामान्य श्रेणी कोई कोटा नहीं है। इस श्रेणी की सरकारी भर्तियों में हर वर्ग का अभ्यर्थी आवेदन कर सकता है। चाहे वह अन्य पिछड़ा वर्ग का हो या फिर अनुसूचित जाति-अनुसूचित जन जाति का। शीर्ष अदालत ने यह फैसला एक याचिका की सुनवाई करते हुए दिया।
जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस रवींद्र भट्ट और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने आरक्षित वर्गों के मेधावी अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित होने और नौकरी के लिए चयन से वंचित करने को सांप्रदायिक आरक्षण माना। पीठ ने कहा कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी की रिक्तियों में चयन पाने के हकदार हैं। पीठ ने कहा कि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी अपनी योग्यता के आधार पर चयनित होने के हकदार हैं तो उनका चयन उस आरक्षित श्रेणी के कोटा में नहीं गिना जा सकता, जिससे वे संबंधित हैं। जस्टिस भट ने एक अलग से लिखे सहमति वाले फैसले में कहा कि खुली श्रेणी कोटा नहीं बल्कि यह भी महिलाओं और पुरुषों के लिए समान रूप से उपलब्ध है। उत्तर प्रदेश में कॉन्स्टेबलों के चयन के लिए 2013 में शामिल ओबीसी श्रेणी की दो महिला अभ्यर्थियों की याचिका पर पीठ का यह आदेश अब राज्य सरकारों को भेजा जा रहा है।
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