नई दिल्ली।सरकार ने प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को वार्ता के लिए बृहस्पतिवार को फिर आमंत्रित किया, लेकिन स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित किसी भी नयी मांग को एजेंडे में शामिल करना ‘तार्किक’ नहीं होगा, जिसका नए कृषि कानूनों से कोई संबंध नहीं है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने 40 किसान नेताओं को लिखे तीन पन्नों के पत्र में कहा, ‘‘मैं आपसे फिर आग्रह करता हूं कि सरकार प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए सभी मुद्दों पर खुले मन से और अच्छे इरादे से चर्चा करती रही है और ऐसा करती रहेगी। कृपया (अगले दौर की वार्ता के लिए) तारीख और समय बताएं। सरकार और किसान संगठनों के बीच पिछले पांच दौर की वार्ता का अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है। दिल्ली की सीमाओं पर लगभग एक महीने से प्रदर्शन कर रहे किसान तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं। अग्रवाल ने किसान यूनियनों से कहा कि वे उन अन्य मुद्दों का भी ब्योरा दें जिनपर वे चर्चा करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि वार्ता मंत्री स्तर पर नयी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में होगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर अग्रवाल ने कहा कि कृषि कानूनों का इससे कोई लेना-देना नहीं है और न ही इसका कृषि उत्पादों को तय दर पर खरीदने पर कोई असर पड़ेगा।
कृषि मंत्री तोमर का राहुल गांधी पर हमला-केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के बागपत से आए किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। किसानों से मुलाकात के बात मीडिया से बातचीत में तोमर ने दावा किया कि किसानों ने तीन नए कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए उन्हें अपना पत्र सौंपा है। उन्होंने कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी पर भी निशाना साधा, जिन्होंने हाल ही में राष्ट्रपति से मुलाकात कर उनसे तीनों कानून को वापस लेने के मामले में दखल देने को कहा था। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन को देखते हुए तोमर ने पिछले कुछ दिनों में कई किसान नेताओं के प्रतिनिधिमंडल से मिलकर बातचीत की है और उन्होंने दावा किया है कि ये लोग सुधार के पक्ष में हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री के हवाले से कहा कि राहुल गांधी जो कुछ भी कहते हैं, उनकी बातों को खुद कांग्रेस भी गंभीरता से नहीं लेती। आज जब वे हस्ताक्षरों के साथ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए राष्ट्रपति के पास गए, तो इन किसानों ने मुझसे कहा कि कांग्रेस का कोई भी नेता हमारे हस्ताक्षर लेने के लिए नहीं आया था।
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