नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की एमएसपी की गारंटी और तीनों कानूनों को रद्द किए जाने की मांग के बीच सरकार ने दावा किया है कि चालू खरीफ विपणन सत्र में अब तक धान की सरकारी खरीद 25 फीसदी बढ़कर 487.92 लाख टन तक पहुंच गई है, जिसका मूल्य 92,121 करोड़ रुपये रहा है। खरीफ विपणन सत्र (केएमएस) अक्तूबर महीने से शुरू होता है।
अब तक 62.28 लाख किसानों को हुआ लाभ-सरकार के सूत्रों के अनुसार खरीफ विपणन सत्र (केएमएस) अक्तूबर महीने से शुरू होता है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य एजेंसियों ने 31 दिसंबर तक 487.92 लाख टन धान खरीदा है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह खरीद 390.56 लाख टन हुई थी। मसलन एमएसपी पर करीब 92,120.85 करोड़ रुपये मूल्य के साथ चालू खरीफ विपणन सत्र के दौरान खरीद अभियान से लगभग 62.28 लाख किसान लाभान्वित हो चुके हैं।
कपास गांठों की खरीद से 14,69,704 किसानों को लाभ-अब तक धान की कुल 487.92 लाख टन की खरीद में से, अकेले पंजाब ने 202.77 लाख टन का योगदान दिया है, जो कि कुल खरीद का 41.55 फीसदी हिस्सा है। सरकार खाद्य कानून और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं और धान की खरीद करती है। बयान में आगे कहा गया है कि 31 दिसंबर 2020 तक, 21,989.94 करोड़ रुपये मूल्य के 75,03,914 कपास गांठों की खरीद की जा चुकी है, जिससे 14,69,704 किसानों को लाभ हुआ है।
किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी-हाल ही में पारित तीन कृषि विपणन कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर हजारों किसान, जो मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार और लगभग 40 किसान यूनियनों के बीच छह दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन कोई अंतिम समाधान नहीं निकल पाया है।
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