दिल्ली। जल ही जीवन है, लेकिन जल बहुत बड़ी बड़ी बीमारियों की वजह भी बन सकता है। इन बीमारियों से बचने के लिए ही लोग घरों में आरओ लगवाते हैं। लेकिन क्या आरओ का पानी भी पीने के लिए सुरक्षित है? एक न्यूज़ चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने 20 शहरों के पानी की रैंकिंग जारी कर दी है। सबसे ख़राब पानी की रैंकिंग राजधानी दिल्ली की है। राजधानी दिल्ली देश के सबसे ज़्यादा प्रदूषित हवा वाले शहरों में सबसे ऊपर नहीं है बल्कि प्रदूषित पानी की रैंकिंग में भी दिल्ली अव्वल रही है।
सर्वे में दिल्ली की पानी सबसे ज़हरीला पाया गया जबकि मुम्बई का पानी सबसे शुद्ध पाया गया। जांच में हैदराबाद, भुवनेश्वर, रांची का भी पानी पीने लायक निकला। रायपुर और अमरावती का पानी भी साफ़ पाया गया। इसके साथ ही शिमला और चंडीगढ़ का पानी पीने लायक निकला। जबकि भोपाल, गुवाहाटी, बेंगलुरु का पानी पीने लायक नहीं पाया गया। गांधी नगर, लखनऊ, जम्मू और जयपुर का पानी भी प्रदूषित पाया गया। साथ ही साथ देहरादून, चेन्नई, कोलकाता के पानी ने प्रदूषण में दिल्ली की बराबरी की।
विकास की ओर रफ्तार से दौड़ते इस देश के ज़्यादातर शहरों में पीने लायक साफ़ पानी भी नहीं है। प्रदूषित पानी के इसी डर ने आरओ तकनीक का एक बाज़ार खड़ा दिया है। देशी विदेशी कंपनियां ज़हरीले पानी का डर दिखाकर आरओ बेच रही हैं और देश के तमाम शहरों में आरओ लगाए जा रहे हैं। लेकिन आरओ तकनीक भी देश में बीमारियां फैला रही है और नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 7 नवंबर को ही आरओ पर बैन लगाने के आदेश दिए हैं। c से जुड़े मामलों का निपटारा करने वाले नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सरकार को आरओ पर बैन ना लगाने पर फटकार भी लगाई है.पानी में घुले हुये जैविक पदार्थ यानी बैक्टीरिया, वायरस और मेटल जैसे लेड, कैडमियम, आयरन, मैग्नीशियम, आर्सेनिक जैसे तत्व शरीर के लिये गम्भीर दिक़्क़तें पैदा कर सकते हैं। आर्सेनिक से तो कैंसर भी हो सकता है। इनको पानी से निकालने के लिये आरओ बेहद कारगर है। लेकिन आरओ पानी से वो ज़रूरी मिनरल भी निकाल देता है जो शरीर के लिए फ़ायदेमंद होते हैं। इसीलिए जैसे ने अपने फ़ैसले में कहा है कि आरओ की वजह से पानी की बर्बादी तो होती ही है। शरीर में मिनरल की कमी की वजह से थकान, कमज़ोरी, मांसपेशियों में दर्द और दिल से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं।
आजकल बड़े शहरों के हर घर में आरओ का यही पानी इस्तेमाल किया जा रहा है। यानी साफ़ पानी पीने के नाम पर हम बीमारियां पैदा करने वाले पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। देश के कई बड़े शहरों में वायु प्रदूषण इस हद तक पहुंच गया कि हवा सांस लेने लायक नहीं बची। जबकि जल प्रदूषण के चलते पानी भी कई शहरों में पीने लायक नहीं रह गया है। हवा और पानी का संकट ऐसा है जिससे कोई इन्सान नहीं बच सकता है।
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