नयी दिल्ली। एनआरसी विवाद के बीच केंद्र की मोदी सरकार नागरिकता बिल को लेकर सक्रीय हो गई है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आज इस पर मुहर लग गई है। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार इसे अगले सप्ताह तक संसद में पास कराने की तैयारी में है क्योकि सरकार की कोशिश इस बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में पास करा लेने की होगी। यह सत्र 13 दिसंबर तक चलेगा। मंगलवार को पार्टी सांसदों की बैठक में भी राजनाथ सिंह ने सभी सदस्यों को संसद में उपस्थित रहने को कहा है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद गृह मंत्री अमित शाह इसे संसद में पेश करेंगे। हालांकि विपक्ष इस बिल का जोरदार विरोध कर रहा है।
क्या है नागरिकता संशोधन बिल?
नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करने के लिए संसद में नागरिकता विधेयक लाया गया था। ये विधेयक जुलाई, 2016 में केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किया गया था। इस विधेयक में भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों यानि की हिंदु, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइ धर्म के मानने वाले लोग भारत में हैं उन्हें बिना समुचित दस्तावेज के नागरिकता देने का प्रस्ताव है। कहने का मतलब यह है कि इस विधेयक में पड़ोसी देश से आए गैर-मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। इस विधेयक में उनके निवास के समय को 11 वर्ष के बजाय छह वर्ष करने का प्रावधान है। कहने का तात्पर्य यह है कि अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। माना जा रहा है कि इस विधेयक के बाद अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदल सकती है।
निजी डेटा संरक्षण विधेयक को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निजी डेटा संरक्षण विधेयक 2019 को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस आशय की जानकारी दी। इस विधेयक में निजी डेटा के संचालन के संबंध में ढांचा तैयार करने की बात कही गई है जिसमें सार्वजनिक एवं निजी निकायों के आंकड़े भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज संपन्न केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
जावड़ेकर ने संवाददाताओं को बताया कि यह विधेयक संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र में ही पेश किया जायेगा। इस विधेयक में निजी डेटा हासिल करने, भंडारण और एकत्र करने के बारे में व्यापक दिशानिर्देश होने के साथ ही व्यक्तियों की सहमति, दंड, मुआवजा, आचार संहिता और उसे लागू करने के मॉडल का भी उल्लेख होगा। पिछले सप्ताह सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि सरकार जल्द ही संसद में निजी डेटा के संरक्षण के बारे में एकसंतुलित विधेयक पेश करेगी।
लोकसभा व विधानसभाओं में बढ़ेगी एससी-एसटी आरक्षण की 10 साल अवधि
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की अवधि को और 10 साल के लिए बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इन श्रेणियों के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2020 को समाप्त होने वाली थी। सरकार आरक्षण की मियाद बढ़ाने के लिए इस सत्र में एक विधेयक लाएगी। विधेयक को मंजूरी के बाद लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण की अवधि बढ़कर 25 जनवरी 2030 तक हो जायेगी। गौरतलब है कि संसद में अनुसूचित जाति के 84 सदस्य और अनुसूचित जनजाति के 47 सदस्य हैं। भारत में विधानसभाओं में अनुसूचित जाति के 614 सदस्य और अनुसूचित जनजाति के 554 सदस्य हैं।
वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण संबंधी विधेयक को दी मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण एवं भरणपोषण संशोधन विधेयक 2019 को बुधवार को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई । इसमें वरिष्ठ नागरिकों की बुनियादी जरूरतों, सुरक्षा एवं कल्याण प्रदान करने की बात कही गई है । विधेयक में वरिष्ठ नागरिकों के मकसद से आश्रय गृह के पंजीकरण एवं रखरखाव के लिए न्यूनतम मानक सहित घरेलू सेवा प्रदाता एजेंसियों के पंजीकरण का प्रस्ताव किया गया है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है और अब इसे संसद में पेश किया जाएगा।
संसद में आएगा केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जायेगा । उन्होंने बताया कि इसके तहत संस्कृत के तीन डीम्ड विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालयों में परिवर्तित किया जायेगा।
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