नई दिल्ली। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 में लिंगानुपात को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, वो काफी चिंताजनक हैं। सर्वे के मुताबिक भारत में दूसरे, तीसरे और उससे ज्यादा बच्चे होने के साथ जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) बिगड़ता चला जा रहा है। इस सर्वे (2015-16) के तहत 5.53 लाख जन्मे बच्चों का विश्लेषण बताता है कि एसआरबी दूसरे और तीसरे बच्चे के साथ बिगड़ता जा रहा है। सर्वे में बताया गया कि पहले बच्चे के समय प्रति 100 लड़कियों पर 107.5 लड़कों का जन्म हुआ जबकि तीसरे बच्चे के समय ये आंकड़ा प्रति 100 लड़कियों पर 112.3 लड़के तक पहुंच गया। ये सर्वे भारत के इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया सैन डिएगो के सेंटर ऑन जेंडर इक्विलिटी एंड हेल्थ के शोधकर्ताओं ने किया है। सामान्य परिस्थितियों में एसआरबी प्रति 100 लड़कियों पर 103-106 लड़कों के बीच रहा है। इसके अलावा अनुमानित वैश्विक औसत 105 है। सर्वे में जारी डाटा के मुताबिक, जब कम्यूनिटी लेवल फर्टिलिटी प्रति महिला 2.8 बच्चों से ज्यादा थी तो एसआरबी सामान्य रेंज यानि यानि 103.7 में था। शोध में शामिल प्रोफेसर अभिषेक सिंह का कहना है कि शोध से पता चलता है कि छोटे और अमीर परिवार लिंग का चुनाव करने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। शोध बताता है कि इसके पीछे बेटे की चाहत एक मुख्य घटक है। प्रोफेसर अभिषेक सिंह का कहना है कि भारत में पहले बच्चे के जन्म के समय एसआरबी अब भी सामान्य सीमा से परे हैं और ज्यादा बच्चों के साथ ये और ज्यादा बिगड़ सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि जमीन के उत्तराधिकार की वजह से बेटे की चाहत लिंगानुपात को बिगाड़ती है। दूसरे या तीसरे बच्चे के साथ, जिन घरों में 10 एकड़ या उससे ज्यादा जमीन है, वहां लड़का पैदा होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। इसके अलावा शोधकर्ताओं का मानना है कि इस बात की संभावना है कि संपन्न लोगों ने लिंग निर्धारण किया हो।फोटो साभार- frontline24.com

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे: लिंगानुपात पर चिंताजनक खुलासा, बेटे की चाहत में बिगड़ रहा है लिंगानुपात
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