नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव जारी है। इसी बीच भारत ने सुरक्षा बलों को 15 दिनों के गहन युद्ध के लिए हथियारों और गोला-बारूद को स्टॉक (भंडार) करने के लिए अधिकृत करने का महत्वपूर्ण कदम उठाया है। माना जा रहा है कि सुरक्षा बल पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तकरार के मद्देनजर बढ़ाई गई भंडारण आवश्यकताओं और आपातकालीन वित्तीय शक्तियों का उपयोग करते हुए स्थानीय और विदेशी स्रोतों से उपकरण और गोला-बारूद के अधिग्रहण के लिए 50,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च कर सकेंगे।
पहले सुरक्षाबल केवल 10 दिनों के लिए हथियार और गोला-बारूद का भंडारण कर सकते थे। अब इसे बढ़ाकर 15 दिन कर दिया गया है ताकि उन्हें चीन और पाकिस्तान के साथ होने वाले ‘टू-फ्रंट वॉर’ के लिए तैयार किया जा सके। सूत्रों का कहना है कि टैंक और तोपखाने के लिए बड़ी संख्या में मिसाइलों और गोला-बारूद को संतोषजनक मात्रा में जमीन से लड़ने वाले सैनिकों के लिए इकट्ठा कर लिया गया है। सरकारी सूत्रों ने कहा, दुश्मनों के साथ 15 दिवसीय गहन युद्ध लड़ने के लिए भंडारण करने की मिली अनुमति के तहत अब कई हथियार प्रणाली और गोला-बारूद का अधिग्रहण किया जा रहा है। भंडारण अब 10-I के स्तर से बढ़कर 15-I के स्तर पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों के लिए भंडारण बढ़ाने के प्राधिकार को कुछ समय पहले मंजूरी दी गई है। प्राधिकरण के अनुसार कई साल पहले सशस्त्र बलों को 40 दिवसीय गहन युद्ध के लिए हथियारों और गोला-बारूद के भंडारण की अनुमति थी, लेकिन भंडारण और युद्ध के बदलते स्वरूप के कारण इसे घटाकर 10-I कर दिया गया था। उरी हमले के बाद, यह महसूस किया गया कि युद्ध के लिए हथियारों का भंडारण कम था। ऐसे में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में रक्षा मंत्रालय ने सेना, नौसेना और वायुसेना के उपाध्यक्षों की वित्तीय शक्तियों को बढ़ाकर 100 करोड़ से 500 करोड़ रुपये कर दिया गया। तीनों सेवाओं को किसी भी उपकरण को खरीदने के लिए 300 करोड़ रुपये के आपातकालीन वित्तीय अधिकार भी दिए गए थे, जो उन्हें लगता है कि युद्ध लड़ने में इनका उपयोग किया जा सकता है। सुरक्षा बल कई हथियारों, मिसाइलों और प्रणालियों की खरीद कर रहे हैं ताकि विपरीत परिस्थितियों में प्रभावी ढंग से कार्रवाई में इनका इस्तेमाल किया जा सके।
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