नई दिल्ली। कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हुई अहम सुनवाई के दौरान सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से सरकार और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे अदालत बेहद निराश है। हम नहीं जानते कि आप समाधान का हिस्सा हैं या समस्या का हिस्सा। कोर्ट ने कहा कि आपने से उचित ढंग से स्थिति को नहीं संभाला तो हमें इस पर एक्शन लेना होगा। अदालत के रुख से इस बात का संकेत मिल रहा है कि नए कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाई जा सकती है। हालांकि प्रधान न्यायाधीश की पीठ ने साफ कर दिया कि वह कानूनों की वैधता को लेकर कोई निर्णय नहीं दे रही और ही इसे निरस्त करने की कोई मंशा है। अदालत केवल इन कानूनों के अमल पर रोक लगाएगी। सरकार के वकील ने कहा कि कानून के किन प्रावधानों को लेकर कोर्ट रोक लगाएगी, इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि हम दोहराना नहीं चाहते, लेकिन कानून पर रोक नहीं लगा रहे हैं। कोर्ट ने किसानों से भी कहा कि वे अपना आंदोलन जारी रख सकते हैं।
बता दें कि केंद्र के तीनों नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों का एक बड़ा तबका आंदोलनरत है। बीते 46 दिनों से आंदोलनकारी किसानों ने दिल्ली की सीमाओं को घेर रखा है। सरकार के साथ किसानों की अब तक आठ दौर की वार्ता हो चुकी है। लेकिन जो स्थिति 46 दिन पहले थी, आज भी वही है। किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी की मांग पर अड़े हैं। उनका कहना है कि कानूनों की वापसी के बाद ही किसानों की घर वापसी होगी। वहीं, सरकार कह रही है कि कानून तो रद्द नहीं होगा। उसके प्रावधानों पर बिंदुवार चर्चा करिए, जो गड़बड़ी लगेगी, ठीक किया जाएगा। जहां तक एमएसपी का सवाल है तो पहले भी यह एक प्रशासनिक प्रक्रिया से लागू थी, आगे भी लागू रहेगी, इसका लिखित में ले लो। दोनों पक्षों के अड़ियलपन के चलते यह आंदोलन खिंचता चला जा रहा है। कड़कड़ाती ठंड में खुली सड़क पर टेंट-तंबू और ट्रैक्टर ट्रालियों में रह रहे किसानों की लगातार मौतें हो रही हैं। अब तक 40 से ज्यादा किसान दम तोड़ चुके हैं और कई ने आत्महत्या कर ली। इसके बाद भी किसानों का हौसला नहीं टूटा है, जबकि सरकार इन मौतों को अब तक संज्ञान तक नहीं ले रही है। 15 जनवरी को सरकार और किसानों के बीच 9वें दौर की वार्ता फिर होनी है। इन्हीं हालातों में सुप्रीमकोर्ट में प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबड़े की पीठ सोमवार को कई याचिकाओं की सुनवाई की। इसमें एक याचिका में दिल्ली आने-जाने वाले राजमार्गों को किसानों से खाली कराने से जुड़ी है। दूसरी कानूनों की वैधता से जुड़ी याचिका है। कुछ और याचिकाएं भी न्यायालय में दाखिल हैं।
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