नई दिल्ली। किरायेदारी के एक मामले में अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि कानून से बाहर कुछ भी नहीं। रोजी-रोटी का सवाल भी तब तक उठा सकते हैं जब आप ईमानदारी से अपना पक्ष लेकर अदालत में आए हैं। अदालत ने तीन साल से कब्जा जमाए बैठे ऐसे ही एक किरायेदार को 30 दिन के भीतर दुकान खाली करने के निर्देश दिए हैं। तीस हजारी कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए.के. सरपाल की अदालत ने किरायेदार को कहा कि दुकान में इस दौरान की गई तोड़फोड़ को भी 15 दिन में ठीक कराए अन्यथा दुकान मालिक अतिरिक्त राशि वसूलने का हकदार हो जाएगा। साथ ही कोर्ट ने उसे तीन साल का बकाया किराया चुकाने को भी कहा है। अदालत ने कहा कि किरायेदार की दलील है कि वह दिसंबर 2019 तक किराया देता रहा है। उसके बाद कोरोना और लॉकडाउन के कारण वह किराया नहीं दे सका, लेकिन किरायेदार इसका कोई सबूत पेश नहीं कर पाया कि उसने किराया चुकाया है। अदालत ने कहा कि कोई भी मकान या दुकान मालिक कमाने के इरादे से ही अपनी जगह किराये पर देता है, लेकिन जब किरायेदार हजार बहाने बनाकर किराया नहीं देता तो मकान मालिक को भी नुकसान होता है। कानून की नजर में मकान मालिक और किरायेदार के अपने-अपने अधिकार और कर्तव्य हैं। दोनों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस मामले में साफ है कि किरायेदार वर्ष 2018 से दुकान चला रहा है, लेकिन किराये की भरपाई नहीं कर रहा। ऐसे में अदालत मकान मालिक के हक में फैसला सुना रही है। अदालत ने कहा कि किरायेदार 30 दिन के भीतर दुकान खाली करे। साथ ही वर्ष 2018 से दुकान खाली करने तक का किराये का भुगतान भी करे। इसके अलावा उसने दुकान में जो भी तोड़फोड़ की है उसे ठीक कराए, अन्यथा दुकान मालिक तोड़फोड़ की रकम वसूलने का हकदार भी हो जाएगा। दुकान मालिक ने अपनी याचिका में कहा था कि इस मामले में किरायेदार व मकान मालिक के बीच 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट हुआ था, लेकिन कुछ महीने ही किराया देने के बाद किरायेदार ने किराया देना बंद कर दिया था। जनवरी 2018 के बाद से किरोयदार ने किराया नहीं दिया। उल्टा बराबर वाली दुकान में भी दीवार तोड़कर कब्जा कर लिया था।
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