नोर्मल दिल की पंपिंग (ईको में इजेक्शन फ्रेक्शन/ईएफ) 50% के ऊपर होती है, परंतु कई कारणों से दिल के फैल जाने पर उसकी पंपिंग कम हो जाती है (लो ईएफ) (जैसे 45%-थोड़ी कम, 40%-कम, 35% के नीचे-बहुत कम)। जब यह कमजोर, बड़े साइज वाला दिल शरीर में खून को पूरा पंप नहीं कर पाता तो शरीर के विभिन्न अंगों जैसे गुर्दो, मांसपेशियों में कम खून पहुंच पाता है एवं बैक प्रेशर के कारण फेफड़ों में पानी (प्लूरल इफ्यूजन/पल्मोनरी एडिमा) एवं पैरों में सूजन (पीडल ऐडीमा) आने लगती है, जिससे मरीज को चलने फिरने, जीना चढने में सांस फूलना, थकावट, रात को लेटने में खांसी/घुटन एवं बैठने से आराम इत्यादि हार्ट-फेलियर के लक्षण होने लगते हैं।जब यह लक्षण थोड़े समय बहुत ज्यादा हो जाए तब इसे ‘एलवीएफ‘ या ‘एक्यूट–हार्ट–फेलियर‘ भी कहा जाता है।
किन कारणों से दिल फैल जाता है?
शूगर(डायबिटीज), जिन लोगों को दिल का बड़ा दौरा (एमआई) या कई हार्ट-अटैक पड़ चुके हो, लंबे समय बहुत ज्यादा बीपी बढ़ने से (हाइपरटेंशन– कई बार जिसका पता भी नहीं चल पाता) , कई बार महिलाओं में ज्यादा बच्चे पैदा करने से (पोस्टपार्टम), शराब की लंबी लत से, कभी कभी कम उम्र में वायरल बुखार के बाद (मायो–कारडाइटिस), कभी-कभी अत्यधिक मानसिक टेंशन से (टाको–सुबो कार्डियोमायोपैथी), थायराइड की गड़बड़ी से, खून (हीमोग्लोबिन) की कमी से, कीमोथेरेपी (कैंसर की दवाएं) इत्यादि से दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिससे दिल फैल जाता है एवं उसकी पंपिंग कम रह जाती है।
दिल फैलने पर क्या जांच कराएं?
ईसीजी में एलबीबीबी एब्नॉर्मलटी, छाती के एक्सरे में दिल की बड़ी शैडो एवं ईकोकार्डियोग्राफी (ईको–दिल का अल्ट्रासाउंड) में पंपिंग की माप (इजेक्शन फ्रेक्शन (ईएफ) की परसेंटेज) देखकर दिल का फैलना पता लगाते हैं । कभी कभी सांस फूलने का कारण ना पता लगने पर खून में बढे ‘बीएनपी‘ का लेवल देख कर भी हार्ट फैलियर की डायग्नोसिस बनाई जाती है! एंजियोग्राफी द्वारा दिल की नसों में ब्लॉकेज तो इसका कारण नहीं है पता लगाया जाता है।
हार्ट–फेलियर का क्या इलाज है? जिस कारण से दिल फैल रहा है उसका इलाज – जैसे बीपी/शूगर का दवा/खान-पान से कंट्रोल, शराब छुड़ाना, थायराइड की दवाइयां, खून की कमी को पूरा करना (आइरन के कैप्सूल), फैले हुए दिल वाली लेडीज को और बच्चे पैदा ना करना,अत्याधिक टेंशन वाली स्ट्रैसफुल लाइफ़स्टाइल त्यागना , अगर दिल की नसों में ब्लॉकेज है तो स्टैंट/ बाई-पास कराने से कुछ केस में पंपिंग बढ़ सकती है। पेशाब की गोलीयां (डाइयूरेटिक्स–लेसिक्स/डायटोर), बीपी/धड़कन की गोली (टेल्मीसार्टन एवं मेटोप्रोलोल), खून पतला करने/कोलेस्ट्रोल की दवाएं (एस्प्रिन/अटोरवास्टेटिन), अर्जुनारिष्ट इत्यादि से भी मरीज के लक्षणों को काफी कुछ कंट्रोल किया जा सकता है।मार्किट मे कुछ ही समय पहले सैक्यूबिट्ट्रिल नाम की महंगी दवा भी आयी है परन्तु इसके परिणाम समय बीतने पर ही पता लगेंगे। कभी कभी दिल के फैलने एवं पंपिंग बहुत कम होने पर (साथ मे ईसीजी में एलबीबीबी की चौड़ाई ज्यादा हो), एक विशेष प्रकार का पेसमेकर (सीआरटी) लगवाने की सलाह भी दी जाती है परंतु यह मशीन बहुत महंगी होती है एवं केवल कुछ ही मरीजों में, कुछ पंपिंग ही बढा पाती है।
जिनका हार्ट फैल गया हो वह किन बातों का ध्यान रखें?
ज्यादा शारीरिक मेहनत/ भागदौड़ से परहेज, नमक व लिक्विड/पानी कम मात्रा में लेना, लेट कर सांस फूले तो सिराहाना ऊपर करके लेटना/ सोना एवं हार्ट–स्पेशलिस्ट की निगरानी में दवाएं लेना चाहिए।
डॉ अनुभव सिंघल
एमडी, मेडिसिन (गोल्ड–मेडल)
डीएम,कार्डियोलॉजी
(एसजीपीजीआई, लखनऊ)
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