मुजफ्फरनगर।ज्यादातर मरीजों के रिश्तेदार हार्ट-अटैक होने या फिर स्टेंटिंग/बायपास के बाद खान-पान व परहेज के विषय में जानना चाहते हैं परंतु उनके अतिव्यस्त हार्ट-स्पेशलिस्ट डॉ उनकी इन शंकाओं के समाधान के लिए पूरा समय नहीं दे पाते!
क्या न खाएं, क्या न करें? बीड़ी-सिगरेट, पान-मसाला-तंबाकू, अंडा, नॉन वेज, मीट बिल्कुल बंद कर दे! वनस्पति घी, मलाई, मक्खन, चिकनाई युक्त ऑइली खाना, तले हुए पनीर, समोसे, पूरी, पराठे कम से कम रखें। चाय, कॉफी, शराब जितना कम हो सके। बीपी के मरीजों को कम नमक या फिर सेंधा नमक कम मात्रा में लेना चाहिए। पापड़, अचार, नमकीन, चटनी से परहेज रखना चाहिए। जिन मरीजों के हार्ट की पंपिंग कम है (इजेक्शन फ्रेक्शन 50% से कम) उन्हें पानी सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए-गर्मियों में एक से डेढ़ लीटर एवं सर्दियों में 1 लीटर के लगभग। जिन लोगों को शूगर भी है उन्हें मीठे का परहेज जैसे सफेद चीनी, मिठाइयां, शकरकंद, बहुत मीठे फल जैसे अंगूर, चीकू इत्यादि एवं आलू, चावल कम मात्रा में लेना चाहिए।कम खाना ज्यादा बार खाना चाहिए ना कि ज्यादा खाना कम बार।कब्ज हो तो रेशेदार फल- सब्जियां, अमरुद, बेल, रात को सोने पहले गर्म दूध मे इसबगोल, त्रिफला एवं सुबह को खाली पेट पानी पीना चाहिए।
कौन सा घी, तेल यूज़ करें?
पब्लिक में हार्ट-अटैक को लेकर फैले मनोवैज्ञानिक डर का फायदा उठाते हुए बहुत सी कंपनियां मीडिया एवं टीवी के माध्यम से कुछ ब्रांड्स का कार्डियो-प्रोटेक्टिव आयल कहकर प्रचार करती हैं, जबकि वास्तव में शुद्ध सरसों का तेल एवं गाय का देसी घी ही कम मात्रा में दिल एवं शरीर के लिए पर्याप्त होता है। सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी का तेल का भी यूज कर सकते हैं।
क्या खाना चाहिए?
खाने में फाइबर रिच डाइट जैसे चोकर मिले आटे की रोटी, हरे पत्ते वाली रेशेदार सब्जियां-पालक, चने का साग, लौकी, बथुआ, धनिया, मेथी, परवल, मूली, गाजर, टमाटर, बंदगोभी, खीरा, अदरक, संतरा जैसी मौसमी ताजी चीजें लेनी चाहिए। ताजे फल, क्रीम निकला दूध, मट्ठा, रोटी, चावल, दालें सभी कुछ ले सकते हैं। ताकत के लिए बादाम, अखरोट, आंवला, शहद, अंकुरित चने/मूंग, गेहूं के पौधे का रस, नींबू का रस, अर्जुन की छाल (अर्जुनारिष्ट) एवं लहसून का भी प्रयोग कर सकते हैं। लौकी एवं गिलोय का रस फायदेमंद रहता है
कब काम पर लौट सकते हैं? हार्ट अटैक के बाद डॉक्टर की सलाह अनुसार धीरे-धीरे 15 दिन के अंदर काम पर लौट सकते हैं।
दवा मे क्या ध्यान रखें ? कुछ हार्ट की दवाएं जैसे नाइट्रेट्स (डिब्बी वाली नाइट्रोकॉन्टिन 2.6/ 6.4) से कुछ मरीजों को तेज सिर दर्द भी हो सकता है अगर ऐसा हो तो डॉ को बताकर इन्हें बदलें। कुछ बीपी की दवाएं जैसे रैमीप्रिल/कार्डेस से मरीजों को गले में खराश या सूखी खांसी हो जाती है ऐसा हो तो डॉ की सलाह लेकर इन्हें बदलकर टेल्मिसार्टन इत्यादि करे। कुछ बीपी की दवाएं जैसे अमलोडिपीन से पैरों में सूजन भी आ जाती है, ऐसा हो तो डॉ की सलाह लेकर इन्हें बदलना चाहिए।
स्टैंटिंग के बाद खून पतला करने की गोलियां(क्लोपिडोगरल/एस्प्रिन) कम से कम 1 साल तक जरूरी लेनी होती है। इस बीच गैर जरूरी ऑपरेशन टालने चाहिए, ऑपरेशन जरूरी होने पर खून पतला करने की गोली आप्रेशन से 3 दिन पहले बंद करानी चाहिए एवं ऑपरेशन के बाद जल्द ही इन्हें दोबारा शुरू करना चाहिए।
क्या जीवन शैली रखें? सामर्थ से अधिक परिश्रम जिससे दम फूल जाए ना करें। शरीर को जितना सहन हो उतना ही श्रम करें। कुछ ना कुछ शारीरिक व्यायाम जैसे प्रातः टहलना, सूर्य-नमस्कार, योगासन, ध्यान, जल-नेति, प्राणायाम उपयोगी रहते हैं। मानसिक तनाव, पारिवारिक कलह से जहां तक संभव हो बचें। प्रातः जल्दी उठकर पानी पीना चाहिए, भोजन के आधे घंटे बाद ही पानी पीएं, रात को सोने से लगभग 2 घंटे पहले भोजन कर लें। कम ही खाएं, महीने में एक-दो दिन उपवास जरूर रखें, उस दिन केवल फलों का रस एवं नींबू पानी ले। अपने जीवन का नजरिया थोड़ा बदलें एवं इसे भागमभाग, टेंशन वाली लाइफस्टाइल से हटाकर स्वास्थ्य हित अनुसार बनाएं।
डॉ अनुभव सिंघल
एमडी मेडिसिन (गोल्ड-मेडल)
डीएम कार्डियोलॉजी
(एसजीपीजीआई, लखनऊ)
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